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टिटनैस (Tetanus) का होम्योपैथिक इलाज और दवाएं

हाथ अथवा पाँव में घाव हो जाने पर या कटी हुई जगह में से किसी जीवाणु के शरीर में प्रवेश हो जाने पर, स्नायुओं में उत्तेजना के कारण यह रोग उत्पन्न होता है। इस रोग में सर्व प्रथम मुंह खोलने की शक्ति नहीं रहती है। रोगी की गर्दन कड़ी तथा अकड़ी हुई रह जाती है। गले में दर्द होता है और जबड़े बंद हो जाते हैं, परन्तु चेहरा प्रसन्न दिखाई देता है। फिर चेहरे की पेशियाँ कड़ी होकर आक्षेप का खिंचाव आरम्भ होता है। उस समय रोगी टकटकी लगाकर देखने लगता है। अंत में अकड़न उत्पन्न होकर सम्पूर्ण शरीर धनुष की भांति टेढ़ा पड़ जाता है। इसी कारण से इस रोग को ‘ धनुष्टंकार ‘ भी कहते हैं। सामान्यतः यह बीमारी नवजात शिशुओं में होती है। परन्तु यह बीमारी किसी भी आयु में किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। यदि इस बीमारी का सही समय पर सही इलाज न हो तो रोगी के मृत्यु भी हो सकती है।

टिटनैस की होम्योपैथिक दवाएं

टिटनैस का रोग घातक रोगों में से एक है। यदि रोगी को सही समय पर इलाज नहीं मिलता है, तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इन औषधियों का प्रयोग करने से पहले डॉक्टरी परामर्श अवश्य लें।

  1Ledam Pal 200

शरीर में कहीं चोट लग जाने पर टिटनैस होने की संभावना हो सकती है, तथा जबड़ा बैठ सकता है। ऐसी स्थिति में इस औषधी का तुरंत प्रयोग करना चाहिए। इस औषधी की 10 बून्द 1/4 कप पानी में दिन में एक बार रोगी को दें। ( यह औषधी मनुष्यों के अतिरिक्त पशुओं के लिए भी इस रोग में लाभकारी होती है )।

  2Hypericum 200

यदि ‘लीडम‘ को देने का समय निकल गया हो और चोट वाले स्थान पर दर्द उतरने – चढ़ने लगा हो तो इस औषधी की 10 बून्द 1/4 कप पानी में दिन में एक बार रोगी को दें।

  3Nux Vomica 30

मानसिक – लक्षणों की प्रधानता में यह औषधी विशेष लाभ करती है। इस औषधी की 10-10 बून्द 1/4 कप पानी में दिन में तीन बार रोगी को दें।

  4Hydrocynic Acid 6

यदि रोगी का जबड़ा बैठ जाये, साँसें रुकने लगें, मुंह से झाग आये, शरीर में अकड़न हो, तथा पीठ के पीछे की ओर मुड़ने पर इस औषधी की 10-10 बून्द 1/4 कप पानी में दिन में तीन बार दें।

Note: कोई भी इलाज़ स्वयं करने से पहले, सम्बंधित डॉक्टर से सलाह अवश्य लें

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