मकर संक्रांति हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। पौष मास में सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 15 जनवरी दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन दान पुण्य करने का विशेष महत्त्व होता है।
पुण्य काल का समय – प्रातः 7:18 – 12:30
महापुण्य काल का समय – प्रातः 7:15 – 9:15
मकरसंक्रांति का महत्व –
मकर संक्रांति का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में अलग -अलग पर्वों के रूप में मनाया जाता है। पंजाब, यूपी, तथा तमिलनाडु में यह पर्व नयी फसल को काटने से पूर्व भगवान और प्रकृति का आभार व्यक्त करने के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। क्यूँकि शनि मकर व् कुम्भ राशि का स्वामी है, इसलिए यह पर्व पिता और पुत्र के मेल के लिए भी मनाया जाता है।
मकर संक्रांति कथा –
पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। भगवान विष्णु ने मकर संक्रांति के दिन ही असुरों का सिर काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की विजय के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है।
मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य देव को प्रसन्न करने की पूजन – विधि
सूर्यदेव को नौ (9) ग्रहों में सबसे शक्तिशाली गृह माना जाता है। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए मकर संक्रांति पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए गुड़, तिल, लाल वस्त्र, तांबा, और सोना आदि वस्तुओं का दान मकर संक्रांति के दिन करना चाहिए।
मकर संक्रांति पर दान का महत्व –
मकर संक्रांति के दिन दान – पुण्य करने से शुभ फल प्राप्त होता है। इस दिन श्रद्धा अनुसार चावल, दाल, अन्न, तिल तथा गुड़ आदि खाद्य पदार्थों का दान करना श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन जो व्यक्ति दान – पुण्य करता है। उसके पाप कम हो जाते हैं।