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[वर्ष 2019] प्रयागराज के अर्ध कुंभ मेले का महत्त्व तथा शाही स्नान का मुहूर्त?

माघ महीने के प्रथम दिन, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। तब मकर संक्रांति के दिन ( 15 जनवरी ) से कुम्भ मेले की शुरुआत होगी।  मेले में शाही स्नान इस महोत्सव का केंद्रीय आकर्षण होता है। ऐसी मान्यता है की शाही स्नान के बाद मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं।  इस वर्ष यह पर्व 15 जनवरी दिन मंगलवार से प्रारम्भ होकर 4 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन इस मेले का आख़िरी स्नान आयोजित होगा। सबसे बड़ा कुम्भ मेला 12 वर्षों के अंतर में तथा अर्ध कुम्भ 6 वर्षों के अंतर पर आयोजित होता है।

कुम्भ मेले का महत्व

सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के बाद उसका पुनर्जन्म होता है। ऐसी मान्यता है कि कुम्भ मेले में स्नान करने वाले व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। सदियों से कुम्भ मेले में स्नान करने की प्रथा चली आ रही है। इस मेले में साधू, सिद्धपुरुष, नागा  साधू, आकर पूजा पाठ का आयोजन करते हैं।

वर्ष 2019 के कुम्भ मेले का शाही स्नान

वर्ष 2019 में आयोजित होने वाले कुम्भ मेले की शाही स्नान तिथि इस प्रकार हैं।

दिनांक                                          विशेष तिथि

15 जनवरी 2019                             मकर संक्रांति ( प्रथम शाही स्नान )

21जनवरी 2019                             पौष पूर्णिमा

4 फरवरी  2019                               मौनी अमावस्या ( द्वितीय तथा मुख्य शाही स्नान )

10 फरवरी 2019                             बसंत पंचमी ( तृतीय शाही स्नान )

19फरवरी 2019                             माघ पूर्णिमा

4  मार्च     2019                               महाशिवरात्री

कुम्भ मेले की कथा व् इतिहास

कुम्भ’ शब्द का अर्थ घड़ा होता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि एक बार स्वर्ग के सभी देवताओं की शक्ति क्षीर्ण हो गयी। जिसके बाद सभी देवताओं ने शक्तियों को फिर से प्राप्त करने के लिए असुरों को समुद्र मंथन के लिए तैयार किया। उस मंथन से जो अमृत कलश निकला उसे पीकर देवता अमर हो गए। समुद्र मंथन के बाद देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ गया, यह युद्ध 12 वर्षों तक चलता रहा। इसी समय पक्षियों में श्रेष्ट भगवान गरुण यह कलश लेकर उड़ गए। पुराणों के अनुसार यह अमृत जहां – जहां छलका वहां – वहां कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है।

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