गणेश चतुर्थी का त्यौहार भारतवर्ष में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान् गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार १३ सितम्बर दिन गुरूवार को मनाया जाएगा। महाराष्ट्र में यह उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घर -घर भगवान गणेश की मूर्ती स्थापित की जाती है, और प्रसाद में भगवान को मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
शिवपुराण के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का प्राकट्य माना जाता है। परन्तु गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का प्राकट्य माना जाता है। यह उत्सव १० दिन तक मनाया जाता है,और अनंत चतुर्दशी को इस उत्सव का समापन होता है।
गणेश चतुर्थी पूजन विधि (Ganesh Chaturthi Poojan Vidhi)
इस दिन महिलायें सारा दिन व्रत रखकर चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ती स्थापित करती हैं। और उन्हें चन्दन तिलक लगाकर दूर्वा अर्पण करती है, तथा मोदक और लड्डू का भोग लगाकर रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ देकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन व्रत करने से विघ्नहरण भगवान गणेश प्रसन्न होकर समस्त संकट दूर करते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Vrat Katha)
शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान करने से पूर्व अपने मैल से एक बालक को उत्पन्न करके उसे अपना द्वारपाल बना लिया। और उसका नाम “गणेश” रखा। माता पार्वती ने कहा कि – हे पुत्र ! मैं स्नान करने जा रही हूँ। जबतक मैं स्नान न कर लूँ, तबतक तुम किसी भी पुरुष को अंदर मत आने देना। कुछ समय पश्चात जब भगवान शिव ने आकर प्रवेश करना चाहा तब बालक गणेश ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया।
भगवान शिव ने इसे अपना अपमान समझकर क्रोध में आकर बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया, और अंदर चले गए। भगवान शिव को अंदर देखकर माता पार्वती क्रोधित होकर गणेश को पुकारने लगीं पुत्र गणेश – पुत्र गणेश। यह सुनकर शिवजी आश्चर्यचकित हुए, तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है ? पार्वती बोली – हाँ नाथ क्या आपने उसे देखा नहीं? शिव जी ने कहा – देखा तो था, किन्तु मैंने अपने रोके जाने पर उसे कोई उद्दंड बालक समझकर उसका सिर काट दिया।
यह सुनकर पार्वती जी क्रोधित होने लगीं, और विलाप करने लगीं। तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर बालक के धड़ से जोड़ दिया और इसी दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाने लगा।
चंद्र दर्शन दोष के उपाय
पुराणों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा के दर्शन करता है, तो उसे झूठ का कलंक लगता है। यदि जाने अनजाने में इस दिन चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का जाप अवश्य करें।