हकलाने की समस्या कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है। इस समस्या से नियमित रूप से किये गए अभ्यास के द्वारा भी छुटकारा मिल सकता है। सामान्यतः यह रोग २-७ वर्ष की आयु के मध्य में शुरू होता है। यह समस्या लड़कों में लड़कियों से चार गुना अधिक पायी जाती है। रुक -रुक कर बोलना, एक ही शब्द को बार – बार बोलना, तेज बोलना आदि हकलाने की ही समस्या हैं। यदि नियमित अभ्यास से यह समस्या सही नहीं होती है। तो इसे होम्योपैथिक उपचार के द्वारा आसानी से ख़त्म किया जा सकता है।
हकलाने के कारण
- हकलाने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं।
- बोलने में काम आने वाली मसल्स व् जीभ पर कण्ट्रोल न होना।
- टेंसन या किसी चीज का डर होने पर भी यह समस्या हो जाती है।
- कुछ बच्चों में यह आनुवंशिक भी होती है।
- नर्वस होने या किसी नए शख्स को देखने पर यह समस्या बढ़ जाती है।
हकलाने का होम्योपैथिक इलाज
1– Bovista 30:
विशेष रूप से बच्चों की हकलाहट में इस औषधी का प्रयोग किया जाता है। इस औषधी की 10-10 बून्द 1/4 कप पानी में दिन में तीन बार ( सुबह, दोपहर, शाम ) दें।
2– Bufo Rana 30:
अत्यधिक क्रोध आने के कारण हकलाने पर इस औषधी की 10-10 बून्द 1/4 कप पानी में दिन में तीन बार दें।
3– Hyosainum 30:
यदि किसी रोगी को यह संदेह हो कि वह ठीक से नहीं बोल सकता तो यह औषधी बहुत ही उपयोगी होती है। इस औषधी की 10-10 बून्द 1/4 कप पानी में दिन में दो बार ( सुबह – शाम ) दें।
4– Merc Sol 30:
जिव्हा के कम्पन तथा अन्य विकारों के कारण हकलाने पर यह औषधि अति उत्तम है। इस औषधि की 10 -10 बून्द 1\4 कप पानी में दिन में तीन बार दे|
5– Stramonium 30:
यदि किसी व्यक्ति को हकलाहट पार्किंसन रोग के परिणामस्वरूप है, तो यह उत्तम औषधी है। लेकिन यह औषधी लम्बे समय के प्रयोग के बाद ही लाभ पहुंचाती है। इस औषधी की 10-10 बून्द दिन में दो बार लें।
Note: कोई भी इलाज़ स्वयं करने से पहले, सम्बंधित डॉक्टर से सलाह अवश्य लें